जी हाँ, इस बात को सही साबित किया है कर्नाटक में बेंगलुरु शहर के एक युवा महेश ने | महेश ने कक्षा दसवीं में 98 % अंक लाकर ऐसा कारनामा रचा है |
![महेश ने साबित कर दिया कि मेहनत का फल मीठा होता है | Minister Suresh Kumar visites Mahesh home](https://goodgreatthings.com/wp-content/uploads/2020/09/suresh-kumar-visits-mahesh-bs-home.png)
आप सोच रहे होंगे इसमें ऐसा क्या है जो इस बात को GOOD GREAT THING बनाती है | इस बात का उत्तर आपको निम्न लिखित बिंदुओं में मिल जायेगा|
१. महेश अपनी पढाई का और घर का खर्चा उठाने के लिए एक दिहाड़ी मज़दूर की तरह काम करता है,
२. महेश ने अपनी पढाई एक सरकारी स्कूल में की है,
३. स्कूल में कई विषयों के तो शिक्षक तक नहीं थे,
४. महेश ने कभी कोई टूशन नहीं ज्वाइन किया,
५. सुख सुविधाओं की तो छोड़िये, महेश एक बहुत छोटे घर में अपनी माँ और दो भाइयों के साथ रहते हैं जहाँ पढ़ने की ठीक ठाक जगह तक नहीं है|
इन सारी विषम परिस्थितियों के बावजूद महेश के पास एक चीज़ थी और वो थी ढृढ़ इच्छाशक्ति | उनकी कड़ी मेहनत और अथक परिश्रम का फल उन्हें मिला और उन्होंने कर्नाटक राज्य की कक्षा दसवीं की परीक्षा 98 % अंकों के साथ उत्तीर्ण की | इतना ही नहीं उनकी यह उपलब्धि सुनकर खुद कर्नाटक राज्य के प्राइमरी और सेकेंड्री शिक्षा मंत्री श्री सुरेश कुमार जी खुद महेश से मिलने उनके घर पहुंचे | ये महेश के लिए किसी सपने से काम नहीं था |
कहते हैं न की किसी चीज़ को करने की आप अगर दिल से ठान लो तो इस संसार के सारे रास्ते अपने आप ही खुलते जाते हैं , ऐसा ही महेश के साथ भी हुआ | अब उनको आगे पढ़ने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई लोगों ने मदद का वादा किया है |
शिक्षा मंत्री जी महेश के घर की हालत देख कर स्तब्ध रह गए की उसने इतनी छोटी जगह में रह कर कैसे पढ़ाई की होगी |
आप महेश की सादगी और शालीनता देखिये की मंत्री जी के पूछने पर की वो उनसे क्या चाहते हैं तो महेश ने कहा की बस आप सारे सरकारी स्कूलों में सभी विषयों के शिक्षकों की भर्ती करा दीजिये ताकि मेरे जैसे विद्यार्थियों को मुश्किल न हो |
महेश की इस सफलता में उसके स्कूल के शिक्षकों का भी योगदान रहा जिन्होंने महेश जैसे बच्चों को पढ़ने की जगह देने के लिए स्कूल को सुबह 7:30 से लेकर रात 9:30 तक खुला रखा | और उनकी तरफ से जितना हो सके अपने सभी विधार्थियों की मदद भी की |
आपको ये सुनकर भी आश्चर्य होगा कि दिहाड़ी मज़दूरी करने बावजूद भी महेश ने कभी अपने स्कूल में अनुपस्थित नहीं रहे | स्कूल के बाद उन्होंने अपना काम जारी रखा और घर खर्चे में सहायता देने के लिए कई तरह के काम किये |
महेश सच में आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं | महेश की मेहनत और लगन के अलावा, महेश की ये कहानी हमें शिक्षा देती है कि हमें भगवान ने जो नहीं दिया उस से दुखी होने की जगह हमारे पास जो है उसमें कैसे खुश रहकर अपना कर्त्तव्य करते रहना चाहिए |
महेश ने 625 अंकों में से 616 अंक अर्जित किए। उन्होंने गणित में 125/125 अंक अर्जित किए।
![महेश ने साबित कर दिया कि मेहनत का फल मीठा होता है | Minister Suresh Kumar Meets Mahesh at his house](https://goodgreatthings.com/wp-content/uploads/2020/09/suresh-kumar-meets-mahesh-b-his-sslc-result.png)
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